लोन रिकवरी के लिए उपयोग होने वाले कुछ कोड।

जब कोई व्यक्ति लोन लेता है और उसका किस्तें समय पर भरने मे असमर्थ हो जाता है, तो बैंक ऐसे ग्राहकों से अपने पैसे वसुलने के लिए जो प्रक्रिया अपनाता है, उसे "लोन रिकवरी प्रक्रिया" कहते हैं।

इस प्रक्रिया में बैंक कुछ कोड का इस्तेमाल करते है, जिससे ग्राहकों के साथ मामले को अस्पष्ट और जल्दी समझा जा सके, जिसे एक ग्राहक के रूप में जानना महत्वपूर्ण हो सकता है, इससे बैंक/या कोई वित्तीय संस्थान, रिकवरी एजेंसियां/या रिकवरी एजेंट, ग्राहकों को डरा धमका नही पाते हैं, क्योंकि वो समझ जाते हैं कि ग्राहक जागरूक है इनको पता है इस बारे में।

दरअसल होता ऐसा है कि, रिकवरी एजेंट को अगर समझ आता है कि, ग्राहक जागरूक नही है, इनको ज्यादा मालूम नही है, इनको मूर्ख बनाया जा सकता है, तो ऐसे में लोन रिकवरी एजेंट ग्राहकों को झूठे नियम कानून और दुसरे होने वाले नुकसानों के बारे में कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर डराने धमकाने की कोशिश करने लगता है। 

अगर आप ऐसे ग्राहक हैं जो अपना लोन भरने मे असमर्थ हो चुकें हैं, आपको बैंकों से फोन आ रहे हैं, रिकवरी एजेंट आपको परेशान कर रहें हैं, आप ईस ट्रैप से निकलना चाह रहे हैं, और अपने लोन को सेटलमेंट करवानें की सोच रहे हैं, तो हम आपको इस लेख मे कुछ ऐसे कोड बताएंगे, जो बैंक और वित्तीय संस्थान "लोन रिकवरी प्रक्रिया" के दौरान अपनाते हैं, जिससे आपको काफी मदद मिलेगी।

लोन सेटलमेंट के लिए उपयोगी जानकारियां 

                         ( लोन रिकवरी कोड )

1. RTP (REFUSE TO PAY)

जब रिकवरी एजेंट फोन करते हैं, और ग्राहक तत्काल पैसे देने से मना कर देते हैं, तो रिकवरी एजेंट अपने सिस्टम पर अपडेट करता हैं RTP, और disposition यानी details मे लिखते हैं वो कारण जिस कारण से ग्राहक मना करते हैं।

इसका फुल फॉर्म होता है refuse to pay, मतलब भुगतान करने से मना करना, RTP का एक और मतलब होता है, जो ग्राहक के लिए है, ready to pay यानी भुगतान के लिए तैयार है।

तो जब भी आपको फोन आए और तत्काल पैसे न हो, तो ऐसे में आपको रिकवरी एजेंट को बोलना चाहिए RTP अपडेट कर दो, अगर एजेंट पुछे कि RTP का मतलब क्या होता है, तो उसे बताएं ready to pay हम पैसे देने के लिए तैयार है लेकिन अभी नही है।

2. NITP (Not Intention to pay)

जब एजेंट को ग्राहक के साथ बातचीत से लगता है, कि ग्राहक जानबूझ कर पैसे नही देना चाह रहा है, तो एजेंट अपडेट करता है, NITP मतलब ग्राहक का भूगतान करने का इरादा नहीं है।

जब ग्राहक बार बार मना करते है ऐसे में रिकवरी एजेंट ग्राहकों पर intention issue का आरोप भी लगाते हैं।

3. DPD (Day past due)

DPD का मतलब होता है कितनें दिन बीत गया, यानी जिस दिन किस्त कटते हैं उस दिन से आगे कितने दिन बीत चुके हैं, अगर ग्राहक को पता न हो या जानकारी चाहिए कि कितनो दिनों से उनका बकाया है, तो ग्राहक एजेंट से पुछ सकते हैं कि इसका DPD कितना हो चुका हैं।

4. PIP (Performance Improvement program)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता हैं, और ग्राहक के साथ बातचीत करता है, लेकिन पैसे नही निकाल पाता, और ऐसा बार बार होता है, ऐसे में उस एजेंट के बातचीत को क्वालिटी चेकर चेक करते हैं, और देखते हैं एजेंट का बातचीत करने का तरीका क्या है, अगर क्वालिटी चेकर को लगता है कि एजेंट का बातचीत करने का तरीका सही नही है, तो उस एजेंट को एक सप्ताह के लिए PIP यानी "प्रदर्शन सुधार कार्यक्रम" मे डाल देते हैं, ये एक तरह का panishment होता है रिकवरी एजेंट के लिए।
 
5. IWTC (issue with tele caller) 

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, और फोन पर ग्राहक के साथ किसी तरह से अभद्रता करता है, दुर्व्यवहार करता है, जिस कारण ग्राहक पैसे देने से मना करते रहते हैं, ऐसे में एजेंट IWTC अपडेट करता है, मतलब टेलीकॉलर से जुड़ी समस्या के कारण ग्राहक पेमेंट नही कर रहा है।

6. TL (team leader)

जब बैंक ग्राहकों से वसूली के लिए लोन खाते को रिकवरी एजेंसियों को दे देता है, तो ग्राहक को उन रिकवरी एजेंसियों से फोन आते हैं, जहा एक साथ बहुत सारे लोग इस काम को करते हैं, एजेंसियों मे समूह बना कर ग्राहकों को फोन किया जाता है, हर समूह का एक मुखिया होता है जिसे टीम लीडर बोलते हैं। 

7. PTP (promise to pay) 

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, और ग्राहक एजेंट को भुगतान करने का वादा करता है, ऐसे में एजेंट PTP अपडेट करता है, मतलब भुगतान करने का वादा किया गया है। 

8. BPTP (Broken promise to pay) 

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, और ग्राहक अपने किए गए भूगतान के वादे को तोड़ देता है, ऐसे में एजेंट BPTP अपडेट करता है, मतलब भुगतान का वादा तोड़ दिया गया है।

9. FPTP (Future Promise to pay)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, और ग्राहक एजेंट को आगे कभी पेमेंट का वादा करते हैं, ऐसे में एजेंट FPTP अपडेट करता है, मतलब भविष्य में भुगतान करने का वादा किया गया है।

10. ANF (adress not found)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक के पते पर जाता है, और वह पता ढुंढ नही पाते हैं या पहुंच नही पाते हैं, तो ऐसे में वह रिकवरी एजेंट ANF अपडेट करता है, मतलब "पता" नही मिला है।

11. CNF (costomer not found)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक से मिलने जाता है, लेकिन ग्राहक मिल नही पाता है, तो ऐसे में रिकवरी एजेंट CNF अपडेट करता है, मतलब ग्राहक नही मिला है।

12. CB (call back)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, लेकिन ग्राहक किसी कारण व्यस्त होता है, या ग्राहक दुबारा फोन करने को बोलता है, या अन्य किसी कारणवश ग्राहक से प्रतिक्रिया नही मिलते हैं, तो ऐसे में रिकवरी एजेंट CB अपडेट करता है, मतलब दुबारा फोन करना है।

13. CP (claim pay) 

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, या पते पर मिलने जाता है, और ग्राहक बोलते हैं कि हमने पेमेंट कर दिया है, तो ऐसे में रिकवरी एजेंट CP अपडेट करता है, मतलब भूगतान का दावा करना। 

14. CBRE (Costomer busy revisit)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक से मिलने पते पर जाता है, लेकिन ग्राहक किसी कारणवश व्यस्त होते हैं, या किसी भी कारण से रिकवरी एजेंट को लगता है, कि बाद मे दुबारा विजिट करना चाहिए, तो ऐसे में रिकवरी एजेंट CBRE अपडेट करता है, मतलब दुबारा विजिट करना है।

15. DL (door lock)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक के घर जाता है, और ग्राहक घर पर नही होते हैं दरवाजा बंद होता है, तो ऐसे में रिकवरी एजेंट DL अपडेट करता है मतलब "दरवाजा बंद" है।

16. LM ( left massage)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक से मिलने घर जाता है, और ग्राहक घर पर नही होते हैं, या कोई कारण जैसे बारिश तूफान जैसी कोई आपदा हो, ऐसे में रिकवरी एजेंट ग्राहक को सुचित कर देते हैं, और अपडेट करतें हैं, LM मतलब ग्राहक को संदेश भेज दिया गया है।

17. PAID (PAID)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, या घर जाता है, उससे पहले ग्राहक पेमेंट कर चुका होता है, जैसे tele caller को नही पता होता कि पांच मिनट पहले ग्राहक पेमेंट किया है, या घर पर गए एजेंट को नही पता होता कि रास्ते में थे तभी पेमेंट किया है, ऐसे में रिकवरी एजेंट पेमेंट को कंफर्म करके paid अपडेट करता है।

18. SHIFTED (SHIFTED)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक के घर जाता है, और उनको पता लगता है कि ग्राहक किसी दुसरी जगह शिफ्ट हो चुके है, ऐसे में रिकवरी एजेंट shifted अपडेट करता हैं।

19. DISPUTED ( DISPUTED )

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, या घर जाता है, और ग्राहक उनको बताता है कि कोई dispute है, किसी फीस पेनाल्टी या टेली-काॅलर या किसी तरह का विवाद के कारण पेमेंट नही कर रहे हैं, तो ऐसे में रिकवरी एजेंट disputed अपडेट करता है, मतलब "विवाद" चल रहा है। 

20. FRAUD ( FRAUD)

जब कोई रिकवरी एजेंट ग्राहक को फोन करता है, या घर पर जाता है, लेकिन किसी भी तरह से वो पैसे नही निकलवा पाता, ऐसे में एजेंट frustrated हो जाता है और उनको लगता है ग्राहक fraud है, ऐसे में रिकवरी एजेंट fraud अपडेट करता है, मतलब ग्राहक fraud है।

21. DRA (debt recovery agent)

कोई भी रिकवरी एजेंट जो ग्राहक को फोन करता है, या विजिट पर आता है, उनको DRA का एक कोर्स करना होता है, जो सौ घंटे पचास घंटे या इससे अधिक का होता है, जिसमें रुल रेगुलेशन, तौर तरीके,और नियम कानून सिखाएं जातें हैं, वगैर DRA किए कोई रिकवरी एजेंट नही बन सकता है, इसलिए जब भी कोई एजेंट विजिट पर आएं, या फोन पर धमकियां दे, तो ग्राहक को चाहिए कि उनसे पुछे, क्या वो DRA किया हैं?।

विजिट पर आएं तो DRA का सर्टिफिकेट दिखाने को बोलें, रिकवरी एजेंट को मिर्ची लगाने का उपाय DRA होता है, यह एक हथियार के रुप में काम करता है जागरूक ग्राहक के लिए।

22. ZTP (Zero tolerance policy)

अगर कोई रिकवरी एजेंट किसी ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार करता है, लेकिन ग्राहक जागरूक होता है, और वो बैंक को इस बारे में शिकायत करता है, ऐसे में उस एजेंट पर zero tolerance policy लगाया जाता है, इसमें एजेंट का नौकरी तक जा सकता है आदि, zero tolerance policy रिकवरी एजेंट को निपटाने वाला हथियार होता है, जागरूक ग्राहक के लिए।

23. DRT (debt recovery tribunal) 

DRT एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जिसका काम बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दी गई लोन की वसूली करना है, DRT की स्थापना लोन वसूली और दिवालियापन अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी।

जब किसी ग्राहक का लोन बीस लाख से अधिक होता है, तो बैंक या वित्तीय संस्थान DRT मे ग्राहक के खिलाफ केस करता है, DRT के पास लोन वसूली से जुड़े मामलों पर सुनवाई करने का अधिकार होते है, DRT के पास किसी भी व्यक्ति को समन भेजने, दस्तावेजों की मांग करने, शपथपत्रों पर साक्ष्य लेने, और गवाहों या दस्तावेजों की जांच के लिए कमीशन जारी करने का अधिकार होता है, डीआरटी केस में, डिफ़ॉल्ट के लिए किसी आवेदन को खारिज किया जा सकता है, या उस पर एक पक्षीय निर्णय लिया जा सकता है। 

24. CRM (costomer relationship management)

बड़ी बड़ी कंपनिया अपने ग्राहकों के डाटा मैनेजमेंट के लिए जो सिस्टम बनाए होते हैं, उसे CRM बोलते हैं, इसमें ग्राहकों की सभी जानकारियां होती है, जैसे नाम, पता, जन्मतिथि, एड्रेस, नम्बर, ईमेल, ग्राहकों की रुचियां, कब क्या खरीदा, लिया, किया, आदि।

25. DPC. (Delay payment charges)

जब ग्राहक भूगतान मे देरी करता है ऐसे में बैंक और वित्तीय संस्थान DPC यानी विलंबित भुगतान शुल्क लगाते हैं।

26. LRN. ( Loan recall notice)

जब ग्राहक बहुत सारे फोन और रिमाइंडर के बाद भी पेमेंट नही करते हैं, रिकवरी एजेंट थकने लगते हैं परेशान हो जाते हैं, लगभग तीन महीने 90 दिन बीतने को होता है, तब बैंक और वित्तीय संस्थान ग्राहकों को लीगल नोटिस भेजते हैं, जिनमें लोन बकाया की जानकारियां होती है, ग्राहकों को चाहिए कि वो लीगल नोटिस का जबाब जरूर दें।

27. NPA ( none performing asset) 

जब कोई लोन बकाया, जमा तिथि से लगातार 90 दिन हो जाते हैं, ऐसे में बैंक और वित्तीय संस्थान उस लोन को NPA घोषित कर देते हैं, मतलब गैर निष्पादित परिसंपत्तियां, यानी ऐसा धन जो काम नही कर रहा।

28. Write off 

जब बैंक और वित्तीय संस्थानों को लगता है, कि ग्राहक अपना लोन नही चुकाएगा, तो ऐसे में बैंक और वित्तीय संस्थान खाते को साफ सुथरा रखने के लिए, लोन को write off कर देते हैं, मतलब खाते को active account से inactive account मे रख देते हैं, या कहे बंद कर देते हैं, लेकिन इससे ग्राहकों कि देनदारी खत्म नही होती हैं, ग्राहकों को तब भी फोन आते रहते हैं, रिकवरी एजेंट परेशान करते रहते हैं।

29. DRN. (Demand recall notice)

जब लोन NPA हो जाता है उसके बाद भी ग्राहक पेमेंट नही करतें है, तो बैंक और वित्तीय संस्थान ग्राहकों को Demand notice भेजते हैं, जो एक तरह से लोन खाते का advance version स्टेटमेंट होता है, जिसमें लोन खाते की सारी जानकारियां होती है, और पेमेंट करने का अनुरोध आदि होता है, ग्राहक को चाहिए कि वो सभी लीगल नोटिस का जबाब जरूर दें।

30. NCM ( national collection manager)

लोन रिकवरी के लिए बैंक और वित्तीय संस्थान अलग-अलग लेवल पर क्रमबद्ध रूप में कुछ कर्मचारियों को काम पर रखते हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर मैनेजर के रुप मे काम करते हैं, उसे NCM बोला जाता है। 

31. ZCM ( Zonal collection manager)
RCM (regional collection manager)

जो कर्मचारी क्षेत्रीय स्तर पर मैनेजर के रुप में काम करतें हैं, उसे ZCM या RCM बोलते हैं।

33. ACM ( area collection manager)

जो कर्मचारी लोकल एरिया में काम करते हैं मैनेजर के रुप में उसे ACM बोलते हैं।

34. SOA (Statement of account)

एकाउंट स्टेटमेंट के लिए SOA शार्टकट मे यूज किया जाता है।

35. MAD (Minimum amount due)

न्यूनतम देय राशि के लिए MAD शार्टकट उपयोग किया जाता है।

36. FOIR ( Fixed obligation income ratio)

जब बैंक और वित्तीय संस्थान ग्राहकों को लोन देता है, उससे पहले ग्राहकों का FOIR चेक करते हैं, मतलब "निश्चित दायित्व आय अनुपात" यानी ग्राहक का पहले से दायित्व कितना है और आय कितना है।

37. OCPD (On call payment deposit)

कॉल पर भुगतान जमा करने के लिए शार्टकट OCPD यूज किया जाता है।

अस्वीकरण:
लोन सेटलमेंट ऋणदाताओं के विवेक पर है, और केवल वे ही सेटलमेंट लेटर जारी कर सकते हैं, हम इस लेख को सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्य से लिख रहे हैं, हमारे पास ऐसे पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है, सभी लोन सेटलमेंट के लिए पात्र नहीं होते हैं, आपको लोन सेटलमेंट पर तभी विचार करना चाहिए, जब आप बड़ी वित्तीय संकट में हों और अपने ऋण की EMI का भुगतान करने में असमर्थ हों।
Previous Post Next Post

Contact Form